गोपाल भाई का डिब्बा
आख़िर NRI गोपाल भाई ने लंदन छोड़ भारत आने का फ़ैसला क्यों लिया?
व्हाट्सएप अंकल


स्वदेश वापसी की गाथा: NRI लौटा है, पर बिस्कुट के डिब्बे जैसा बंद होकर!
अरे वाह! ब्रेकिंग न्यूज़! हमारे एक गुप्तचर सूत्र (जो दरअसल वो शर्मा जी हैं जो हर सोसाइटी में रहते हैं) ने सीधी लंदन से एक सनसनीखेज खबर दी है! बताते हैं कि वहां रहने वाले एक NRI साहब, जिन्हें हम गोपाल भाई पटेल के नाम से पुकारेंगे (क्योंकि असली नाम तो हमारी सुरक्षा के लिए बताना ठीक नहीं), उन्होंने घरवापसी का महा-निर्णय ले लिया है! जी हां, गोपाल भाई वापस आ रहे हैं - माँ की प्यारी मिट्टी, भारत!
अब आप सोच रहे होंगे ऐसा कैसे हो सकता है? लंदन जैसी वैभव की नगरी को छोड़कर कोई वापस कैसे आ सकता है? तो वही सवाल हमारे मन में भी हिचकोला खा रहा था। मगर हमारे सूत्रों के मुताबिक, ये कोई मामूली वापसी नहीं है। ये एक ड्रामा है, एक थ्रिलर है, एक ऐसा फैसला जिसने पूरे लंदन के NRI समाज को हिला कर रख दिया है!
सूत्रों का कहना है कि गोपाल भाई पिछले हफ्ते सुबह उठे, तो उन्होंने देखा कि उनके किचन में रखा हुआ बिस्कुट का डिब्बा खाली पड़ा है। बस यही वो निमित्त था जिसने उनकी पूरी ज़िंदगी बदल कर रख दी! डिब्बे को खाली देख वो इतने व्यथित हुए कि तुरंत भारतीय दूतावास को फोन लगा डाला और बोले - "हें भईला, वापसी का टिकट चाहिए, सिंगल!"
अब आप सोचिए, बिस्कुट खत्म हो जाने पर NRI वापसी का फैसला ले ले, ये कैसी सुनक की साज़िश है? तो सूत्रों ने बताया कि असल में वो डिब्बा कोई मामूली डिब्बा नहीं था। वो पार्सल भारत से आया हुआ था, जिसको उनकी माँ ने भरकर भेजा था - न जाने कितने थेपले के पैकेट, पाँच किलो ढोकला और वो एक स्पेशल डिब्बा जिसके अंदर पारले G बिस्कुट के पूरे दर्जन पैकेट थे!
गोपाल भाई को उसी डिब्बे की इतनी आदत लग गई थी कि वो किसी और बिस्कुट को छू भी नहीं सकते थे। तो डिब्बा खत्म होते ही उन्हें लगा कि भारत से उनका ये आखिरी तिलिस्म भी खत्म हो गया। इसलिए उन्होंने वापसी का फैसला कर लिया!
अब गोपाल भाई की वापसी से लंदन का NRI समाज हक्का-बक्का है। कोई कह रहा है कि ये भारतीय डिब्बों की साजिश है, कोई कह रहा है ये मिसिस शाह की बासी दाल ढोकली का साइड इफेक्ट है। लेकिन जो भी हो, एक बात तो साफ है - गोपाल भाई की वापसी ने ये साबित कर दिया है कि विदेशी चमक-दम के पीछे, हर एक NRI के दिल में भारत में बने हुए पारले जी की यादें सदैव बनी रहती है।
तो स्वागत है गोपाल भाई! और जल्दी ही ये भी बताइएगा कि आप वापस आकर सबसे पहले क्या खाने वाले हैं? हम अपने पाठकों को यही सलाह देंगे कि अपने NRI रिश्तेदारों को डिब्बे भेजना बंद कर दें, नहीं तो कहीं वो भी वापस ना आ जाएं!